भाजपा सरकार में नहीं सुलझ सका मंदिर मस्जिद का मुद्दा

हिन्दू संगठन एवं देशवासी मोदी के झूठ एवं जुमले से परेशान 


भाजपा चुनाव से पहले अपने एजेंडा में मंदिर का मुद्दा सबसे पहले था लेकिन सत्ता बनते ही मोदी ने इन पांच सालो में मंदिर  बनने का सुनहरा सपना दिखाते  हुए मंदिर नहीं बना सके जिस कारण  इन पांच सालो में देशवासी एवं हिन्दू संगठन के लोग मोदी के झूठ एवं जुमले से हुए परेशान 



 


अयोध्या विवाद मामले में सर्वोच्च न्यायालय में 26 फरवरी को सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व में सर्वोच्च न्यायालय के 5 जजों की संवैधानिक बेंच मामले की सुनवाई करेगी। आपको बताते जाए कि सुप्रीम कोर्ट ने 29 जनवरी को होने वाली सुनवाई टाल दी थी। इसकी सुनवाई टलने पर हिंदू संगठनों और साधु-संतों ने काफी विरोध जताया था।


न्यायाधीश यू. यू. ललित के मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। इसके बाद नए बेंच का गठन किया गया है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की संवैधानिक बेंच इस मामले की सुनवाई करेंगी।


27 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के अडिशनल रजिस्ट्रार लिस्टिंग की ओर से जारी नोटिस के मुताबिक संवैधानिक बेंच में शामिल जस्टिस एस. ए. बोबडे के मौजूद नहीं होने के कारण 29 जनवरी की सुनवाई नहीं हो पाई थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 30 सितंबर 2010 के निर्णय के खिलाफ शीर्ष अदालत में 14 अपीलें दायर की जा चुकी है।


हाई कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच समान रूप से विभाजित करने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने मई 2011 में उच्च न्यायालय के निर्णय पर रोक लगाने के साथ ही अयोध्या में विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।